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इब्तदाए इश्क मे रोता है क्या
देखिए आगे-आगे होता है क्या
जहाँ धरि DNA केर गप्प छै पहिने अपन करबा लिअ विजय देव जी। ओहूसँ नै हुअए तँ एहिने ऐ https://dbb13891-a-96a2f0ab-s-sites.googlegroups.com/a/videha.com/videha-pothi/Home/PANJI_CRC.pdf?attachauth=ANoY7conXphoNoDM29lEjcMSx75j9FA9kGRPfMDeXiB6tM0-AkmOSUReUv_16zTp8j_UhzIXGeE654pO-UnEub8fwuiY0QPDMBZQqQ82DrytWlTdFOXK8oDWMjrviquKsLypwQC3HKzQ2YEkOOpz-6ZfZg9LCNM9QIiSwGxjYKIVl9XpprtjgsJ4AWtEBqfMopcFQNAhOc2OtYfzsY2iaQvGLYgWtaCoFw%3D%3D&attredirects=0 लिंकपर आबि क' अपन समाजिक DNA देखि लिअ। लोको सभकेँ आ अहाँकेँ अपनो ई अंदाज भ' जाएत जे अहाँ सभ बाप-पुतेकेँ रंग कारी किए अछि। अहाँ सभहँक खूनमे केकर खून मिलल अछि जे अंदाजा भए जाएत
एकटा बात आर जेना बानर लग मोतिक माला नै सोभै छै तेनाहिते अहाँ मूँहसँ संस्कारक बात नै नीक लागैए। पहिने तँ भीमनाथ झा जीककेँ गारि पढ़ै छि आ तखन हुनका मामा कहै छी। हमरा तँ लगैए जे अहाँ अपन बापकेँ बाप कहबासँ पहिने गारिए देने हेबै। माए-बहीनिकेँ माए-बहीनि कहबासँ पहिने सेहो अहाँ अपन माए-बहीनेकेँ गारि देने हेबै। तँए अहाँ संस्कारक गप्प नै करू
आइ अहाँकेँ संस्कारक चिन्ता किए अछि ? जहिया सभ लेखककेँ चिट्ठी लीखि कए अहाँ सभ बापुते गरियाबै छलिऐ तहिया कतए छल अहाँ सभहँक संस्कार
ड़ा. राम देव झाक परतर करबा मे आहा कें सात जनम लेबs परत
ReplyDeleteअहाँ तँ हमरासँ गजल सिखै छलौं, अपनाकेँ हमर शिष्य कहै छलौं रोशन जी। कहिया/ कोना अहाँ चोर बनोर बनि गेलौं, कहिया "राड़ केँ सुख बलाय" लिखऽ लगलौं!! अहाँक गलती नै, ई रामदेव झा-चन्द्रनाथ मिश्र अमरक गलती अछि, जकर संसर्ग अहाँक पतनक कारण बनल रोशन जी। आबो चेतू, अमलेन्दु शेखर पाठक आ दिलीप कुमार झा "लूटन"क हाल देखियौ की केलकै ई सभ, अहूँक संग ई सभ सएह कऽ रहल अछि।
Deleteआहा सनक साहित्यकार चनी हजार रोज पैदा होइत अछि अन्चिन्हार बाबू
ReplyDeleteRoshan kumar jhaDecember 24, 2012 12:29 PM
Deleteड़ा. राम देव झाक परतर करबा मे आहा कें सात जनम लेबs परत
Roshan kumar jhaDecember 24, 2012 12:32 PM
आहा सनक साहित्यकार चनी हजार रोज पैदा होइत अछि अन्चिन्हार बाबू
चोर Roshan ji:
चोर-चोर मसियौत भाइ- रोशन जी अखन अहाँ सन चोरेक जरूरत छै रामदेव-शंकरदेव-विजयदेवकेँ। रामदेव-शंकरदेव-विजयदेव सन गिरल लोकक परतर करैमे सात जनम की सत्तरि जनम हमरा लागत।
काल्हि तक तँ ई रोशन झा एकटा मिथिलाक अबाजमे काज केनिहारक संग मिलि कऽ रामदेव झा, विदित आ चन्द्रनाथ मिश्र अमरकेँ सात पुश्तक गाड़ि पढ़ै छलै, अनचोक्के ओकरा पक्षमे बाजि कऽ रामदेव झाकेँ गारि सुनेबाक साजिश तँ नै कऽ रहल अछि ई चोर रोशन झा। ओना ठीके छै चोर-चोर मसियौत।
DeleteRoshan kumar jhaDecember 24, 2012 12:29 PM
ReplyDeleteड़ा. राम देव झाक परतर करबा मे आहा कें सात जनम लेबs परत
Roshan kumar jhaDecember 24, 2012 12:32 PM
आहा सनक साहित्यकार चनी हजार रोज पैदा होइत अछि अन्चिन्हार बाबू
चोर Roshan ji:
चोर-चोर मसियौत भाइ- रोशन जी अखन अहाँ सन चोरेक जरूरत छै रामदेव-शंकरदेव-विजयदेवकेँ। रामदेव-शंकरदेव-विजयदेव सन गिरल लोकक परतर करैमे सात जनम की सत्तरि जनम हमरा लागत।
चोर-चोर मसियौत भाइ- रोशन जी अखन अहाँ सन चोरेक जरूरत छै रामदेव-शंकरदेव-विजयदेवकेँ। रामदेव-शंकरदेव-विजयदेव सन गिरल लोकक परतर करैमे सात जनम की सत्तरि जनम हमरा लागत।
ReplyDeleteअहाँ तँ हमरासँ गजल सिखै छलौं, अपनाकेँ हमर शिष्य कहै छलौं रोशन जी। कहिया/ कोना अहाँ चोर बनोर बनि गेलौं, कहिया "राड़ केँ सुख बलाय" लिखऽ लगलौं!! अहाँक गलती नै, ई रामदेव झा-चन्द्रनाथ मिश्र अमरक गलती अछि, जकर संसर्ग अहाँक पतनक कारण बनल रोशन जी। आबो चेतू, अमलेन्दु शेखर पाठक आ दिलीप कुमार झा "लूटन"क हाल देखियौ की केलकै ई सभ, अहूँक संग ई सभ सएह कऽ रहल अछि।
ReplyDeleteकाल्हि तक तँ ई रोशन झा एकटा मिथिलाक अबाजमे काज केनिहारक संग मिलि कऽ रामदेव झा, विदित आ चन्द्रनाथ मिश्र अमरकेँ सात पुश्तक गाड़ि पढ़ै छलै, अनचोक्के ओकरा पक्षमे बाजि कऽ रामदेव झाकेँ गारि सुनेबाक साजिश तँ नै कऽ रहल अछि ई चोर रोशन झा। ओना ठीके छै चोर-चोर मसियौत।
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